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বৃহস্পতিবার, ৪ ফেব্রুয়ারী, ২০১৬

মুস্তাফিজুর রহমান প্রারম্ভিক জীবন

তেঁতুলিয়া গ্রামে জন্মগ্রহণকারী বামহাতি পেসার মুস্তাফিজুর রহমান ২০১২ সালে ফাস্ট-বোলারদের ক্যাম্পে অংশগ্রহণের উদ্দেশ্যে ঢাকায় আসেন। নিজ শহর সাতক্ষীরায় অনুষ্ঠিত অনূর্ধ্ব-১৭ প্রতিযোগিতায় চমকপ্রদ ক্রীড়ানৈপুণ্য প্রদর্শন করেন। এরপর তাকে বিসিবি’র পেস ফাউন্ডেশনে অন্তর্ভূক্ত করা হয়। বাংলাদেশ অনূর্ধ্ব-১৯ দলে থাকাকালীন দল নির্বাচকমণ্ডলী কর্তৃক ২০১৫ সালের বিশ্বকাপের জন্যও তিনি মনোযোগ আকর্ষণ করেন।
২০১৩-১৪ মৌসুমে খুলনার পক্ষে প্রথম-শ্রেণীর ক্রিকেটে তার অভিষেক ঘটে। এরপর সংযুক্ত আরব আমিরাতে অনুষ্ঠিত অনূর্ধ্ব-১৯ ক্রিকেট বিশ্বকাপে আট উইকেট লাভ করেন। এরফলে ওয়েস্ট ইন্ডিজে বাংলাদেশ এ দলের সফরে অন্যতম সদস্য মনোনীত হন। এ সংক্ষিপ্ত সফরের পর অন্যতম সেরা বোলার হিসেবে তিনি বিবেচিত হন ও ধীরে ধীরে বলের বৈচিত্র্যতা বৃদ্ধিতে সচেষ্ট হন। শুরুতে তার বলে পেস কম থাকলেও ২০১৪-১৫ মৌসুমে ১৯.০৮ গড়ে ২৬ উইকেট দখল করেন।

सेक्स टिप # 1: यौन संबंध के लिए सही समय क्या है? (मेडिकल सेक्स के टिप्स)

मुरादें पूरी होती हैं नौगजा पीर पर

दिल्ली से अंबाला जीटी रोड जाते समय अंबाला तथा शाहबाद के बीच एक नदी के तट पर नौ गजा पीर (सैयद हाफिज मो. इब्राहिम) की दरगाह बनी हुई है। वैसे तो यहां से गुजरने वाला हर श्रद्घालु मस्तक नवाता है, परन्तु अधिकतर टकों के डाइवर तो विशेष रूप से मत्था टेक कर जाते हैं। मुख्य द्वार से मजार तक पहुंचने के लिए छति हुई सुंदर सीढ़ियां बनी हुई हैं ताकि धूप एवं बरसात में श्रद्घालुओं को असुविधा न हो। नीचे उतर कर कुछ ही कदम चलकर दरगाह में स्थित नौ गज लंबी बाबा की मजार के दर्शन होते हैं, जिस पर नीले रंग की चादर बिछी होती है तथा मोर पंखों के चंवर रहते हैं। एक ओर बहुत सारे चिराग रोशन होते हैं, जिनमें श्रद्घालुजन बाहर से सरसों का तेल लाकर डालते हैं, धूप अगरबत्ती जलाते हैं और प्रसाद चढ़ाते तथा सजदा करते हैं।
दरगाह का रखरखाव खण्ड विकास एवं पंचायत कार्यालय शाहबाद की देखरेख में हो रहा है, जिसकी तरफ से एक प्रबंधक नियुक्त किया जाता है। भारतीय सेना के अधिकारी पद से निवृत वहॉं के प्रबंधक ने बताया कि बाबाजी समेत यहॉं हम सभी सेना से संबंधित हैं। यहां पर हर जाति एवं धर्म के लोग प्रतिदिन सैकड़ों तथा हजारों की संख्या में आकार-मत्था टेकते हैं, उनमें से कई चादर तथा घड़ियां भी चढ़ाते हैं। दरगाह चौबीस घंटे खुली रहती है तथा अखण्ड जोत जलती रहती है। घड़ियां गरीब कन्याओं के विवाह, पाठशालाओं व धार्मिक स्थलों में दे दी जाती हैं। हर वीरवार को यहां भारी मेला लगता है तथा भण्डारे का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें आसपास के गांवों के तथा बाहर से आने वाले श्रद्घालुजन प्रसाद ग्रहण करते हैं। दरगाह के साथ शिव मंदिर भी बना हुआ है, जहां पर हर श्रद्घालु अपने श्रद्घा सुमन अर्पित करता है, इसलिए यह स्थान आपसी भाईचारे सर्वधर्म, सद्भावना व आस्था का प्रतीक कहलाता है। कुछ धार्मिक स्थलों के पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक प्रमाण मिलने असंभव होते हैं। इसलिए केवल लोक विश्र्वास व जनश्रुतियों को ही प्रमाण के रूप में मान्यता दी जाती है। इस दरगाह के बारे में भी लोक विश्र्वास एवं जनश्रुति के आधार पर कुछ मान्यताएं हैं, जिनका वर्णन इस प्रकार है – यह दरगाह 400 साल से भी ज्यादा पुरानी है। जिस नदी के तट पर यह बनी हुई है वह क्षेत्र बहुत ही सुंदर एवं रमणीक हुआ करता था, इसलिए अनेक सूफी संत यहां पर तपस्या किया करते थे। एक बार मुगल शासन के समय सेना ने इसी नदी पर पड़ाव डाला था। सेना के कैप्टन मोहम्मद इब्राहिम का रात्रि में इस जगह पर एक सूफी संत के साथ संपर्क हुआ, जो यहां कुटिया बनाकर रहते और तपस्या किया करते थे। उन संत से वे इतने प्रभावित हुए कि नौकरी से त्याग-पत्र देकर उन्हीं की शरण में रहने लगे और उनके सान्निद्य में तपस्या व साधना द्वारा पूर्ण रूपेण सिद्घि प्राप्त कर गए। तत्पश्र्चात् जीवनपर्यन्त जनसेवा में लगे रहे और इसी जगह संसार से विदा ली। यही वह पुरातन तपोस्थली है। कहते हैं कि सन् 1545 में लार्ड डलहौजी के समय जब जीटी रोड बनाई जा रही थी, तो वर्तमान पुल जितना बनाया जाता, उतना ही रात को गिर जाता था। कई दिन ऐसे ही चलता रहा। एक रात ठेकेदार को स्वप्न में बाबा जी दिखाई दिये, उन्होंने कहा कि यहीं आसपास मेरा स्थान है, उसे ढूंढकर सफाई करके जोत जलाओ, मत्था टेको तो पुल बन जाएगा। उसने बाबा के आदेशानुसार वैसा ही किया, अगले दिन से पुल का कार्य निर्विघ्न रूप से चलता गया। उसके बाद तो श्रद्घालुजनों का दरगाह पर आना शुरू हो गया और तभी से यह परम्परा आज भी जारी है। भूतपूर्व प्रबंधक श्री रामनाथ गुलाटी जो कि हरियाणा राजस्व विभाग कुरुक्षेत्र से 1996 में अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे, प्रशासन ने उनको यहां का प्रबंधक नियुक्त कर दिया था। वह लगभग 10 वर्ष तक इस पद पर आसीन रहे। उनके कार्यकाल के दौरान श्रद्घालुजनों से बाबा जी के बारे में प्राप्त विशेष जानकारी के आधार पर उन्होंने बताया कि बाबा जी सेना में अफसर थे तथा उनका कद 9 गज का ही था, और शिव मंदिर भी उन्हीं की प्रेरणा से बना था। चरणजीत सिंह अटवाल जो कभी पंजाब विधानसभा के स्पीकर थे, उस दौरान वह एक साथी लेख राज के साथ दरगाह पर मत्था टेकने पहुंचे तो लेख राज ने बड़ी ही भावुक शब्दों में सुनाया कि उसने कोई मन्नत मांगी थी, वह पूरी हो गई परन्तु दरगाह पर मत्था टेकना भूल गया। एक रात स्वप्न में बाबा जी ने उसे बहुत डांटा और कहा कि इस भूल की तुम्हें सजा जरूर मिलेगी, इसलिए वह तुरंत दरगाह पर आया है। उसने आगे कहा कि जब मैंने उनकी ओर देखा तो वह वर्दी पहने हुए थे, उनकी ऊँचाई इतनी थी कि उनके मुंह की तरफ देखने के लिए मुझे अपनी गर्दन ऊपर उठानी पड़ी। वह जमीन पर खड़े-खड़े ही घोड़े पर चढ़कर चले गए। बिजली बोर्ड कुरुक्षेत्र से एक ऑफिस कर्मचारी रामस्वरूप दरगाह पर चादर चढ़ाने आया था, उसने बताया कि उसको अपनी लड़की के विवाह के लिए लड़का नहीं मिल रहा था, इसलिए बहुत परेशान था। एक दिन वह अंबाला लड़का देखने गया उस दिन वह इतना निराश था कि उसने अपने मन में यह धारणा कर ली कि यदि आज बात नहीं बनी तो वह आत्महत्या कर लेगा। परन्तु वापसी में जब वह दरगाह के पास से गुजरा तो उसने बाबा से सच्चे मन से फरियाद की। उसका काम बन गया, बेटी की शादी अंबाला में ही हो गई। दुर्भाग्यवश वह चादर चढ़ाना भूल गया तो एक दिन स्वप्न में बाबा जी आए और कहने लगे कि चादर कहां हैं? उसने जब उनकी ओर देखा तो उस समय वह थानेदार की वर्दी में थे। इसी प्रकार दिल्ली से एक श्रद्घालु परिवार ने बताया कि हमें स्वप्न में बाबा जी के दर्शन हुए हैं और उन्होंने आदेश दिया है कि दरगाह के साथ शिव मंदिर बनवाओ। अतः हम इसी काम के लिए आए हैं और उन्हीं की सहायता से यहां शिव मंदिर का निर्माण हुआ है। इन सब घटनाओं से यह निष्कर्ष निकलता है कि बाबा जी सेना में कैप्टन थे तथा उनका कद 9 गज का था। इसके साथ-साथ यह भी तर्कसंगत हैं कि जो सिद्घ पुरुष होते हैं वे अपनी इच्छा अनुसार छोटा या बड़ा कोई भी रूप धारण कर सकते हैं, जैसे हनुमान जी कभी लघु रूप और कभी विशाल रूप धारण कर लिया करते थे। बहुत साल पहले की घटना है कि सेबों के टक कश्मीर से दिल्ली आते थे। जो डाइवर पहले पहुंचता था उसे 100 रुपये का इनाम दिया जाता था। अतः डाइवर बाबा से मन्नत मांगते थे कि उन्हें सही समय पर ठीक-ठाक पहुंचा देना। एक डाइवर ने सोचा कि बाबा को टाइम का कैसे पता चलेगा तो उसने बाबा की दरगाह पर घड़ी चढ़ा दी, तभी से घड़ियां चढ़ाने की परम्परा बन गई है। इसलिए अनेक श्रद्घालु अब बाबा की दरगाह पर घड़ियां भी चढ़ाते हैं। अब भी यह स्थान बहुत सुंदर तथा रमणीक है, इसलिए अनेक श्रद्घालु सड़क पर आते-जाते कुछ क्षणों के लिए यहां अनायास ही रुक कर आनंद, सुख व शांति का अनुभव करते हैं। – एम.एल. शर्मा

বুধবার, ৩ ফেব্রুয়ারী, ২০১৬

हर रात सेक्स करते थे भाई बहन!

नई दिल्ली: अफ्रीका में नाबालिग भाई-बहन ने अपने रिश्ते की गरिमा को तोड़ते हुए कुछ ऐसा काम किया कि उनके माता-पिता को भी शर्मसार होना पड़ा। यह दोनों भाई बहन रात को सबके सोने के बाद सेक्स करते थे। उनका मां ने जब उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया तो उन्होंने अपनी ही मां पर आरोप लगाया कि वह उनसे नफरत करती है और इसलिए से इल्जाम लगा रही है। यह मामला 26 दिसंबर 2013 का है।

মঙ্গলবার, ৫ জানুয়ারী, ২০১৬

मैं उसके पति को पसंद नहीं करते, अजीब सेक्स लगे

मैं 8 महीने के लिए शादी कर दिया गया है। मेरी उम्र 3। मेरे पति 37 साल पुराना है। मैं दक्षिण अफ्रीका के लिए अपने पति के साथ चला गया। हवाई अड्डे से, मेरे पति रफी से एक के छोटे भाई हमें प्राप्त करने के लिए। रफी के बहुत चालाक लड़का। 5 साल की उम्र की तरह दिखेगा। और जोहानसबर्ग टैक्सी ड्राइव। हम एक टैक्सी में उसे पकड़ लिया। मेरे पति के बगल में सामने की सीट Rafi` और मैं पीछे की सीट पर बैठ गया। पत्नी पर एक नज़र तेज रफी था लिया कांच की आँखों में देख रहे हैं और। वह जीने के लिए घर जाने के लिए हवाई अड्डे के लिए चला गया। एक बेडरूम, एक ड्राइंग रूम, एक रसोई, बाथरूम और हमारे लिए दो बेडरूम और छोड़ दिया। मेरे पति और वहाँ कोई नौकरी नहीं है। रफी अब यहाँ हूँ। मैं धीरे धीरे खाना पकाने की जिम्मेदारी नहीं है। और मेरे पति एक नौकरी खोजने के लिए जारी है। रफी को बात करने के लिए पसंद आया होगा। रफी मेरी कंपनी पसंद आया। मेरे पति के लिए आभारी रफी, तो वह मन नहीं था, लेकिन कभी कभी हम अकेले होने का अवसर के साथ इसे से बाहर थे। रफी मुफ्त की एक बहुत कुछ मिला है। मैं उसे करने के लिए मुसीबत और पैसे की एक बहुत बात की थी और वे परिवार चलाते हैं। उनके छोटे भाई-बहनों को सब कुछ और चलाने का अध्ययन करने लगे। उसे उन्हें सुनने के लिए के लिए आदर हालांकि, बहुत कुछ। मेरी उम्र का एक लड़का कैसे जिम्मेदार हो सकता है। हम रफी के आभारी हैं। इसलिए मैं अपने कर्ज चुकाने की कोशिश की। पार्टी के एक शनिवार को आयोजित किया जाएगा। हर किसी के लिए रफी दोस्त। मांस, रोटी जला दिया और पिया, और वे अध्याय। रफी अपनी बियर, कभी कभी भैया मेरे होठों को छुआ। कोई मेरे पति को देखने का नाटक। मैं बियर निगल करने के लिए मजबूर किया गया था। बहुत अच्छा है, एक बात है कि मेरे पति की नौकरी के लिए पार्टी की नियुक्ति करने के लिए है। हालांकि, रात गार्ड की नौकरी। लेकिन कुछ नहीं हुआ। उसके पति की नौकरी के बाद, हम घर खोजने के लिए शुरू कर दिया। लेकिन वेतन के साथ रफी के भाई वैसे भी किराए पर लिया जा सकता है। मुझे लगता है हम घर कि लागत थे सोचा है, तो यह उसके लिए यहां से चला गया प्रशंसा की मुझे पूरा रफी। मैं सेक्सी का एक बहुत लगता है। मेरी पत्नी वैसे भी पूछ रहा है, जब जीवन में कुछ और की तरह। और मुझे लगता है की एक बहुत देखा है। ड्यूटी पर मेरे पति, 8:00 से 8:00 तक। रफी की रात को 10 कर दिया। रफी मैं दरवाजा खोलने के लिए चला गया एक रात लौटे। उसके शरीर से शराब की बू आ रही है। और मादक पदार्थों का एहसास हो गया है। मैं उसे रात कपड़े व्यापार पोशाक के बाद किया गया। ओह, मुझे चुंबन और मेरे बाल lipae, गर्दन मुझे देखने के लिए ले लिया है, और मेरे गालों पिघला। उन्होंने कहा कि बेडरूम के लिए मुझे ले गया और केले पाज़ ले लिया। और हम एक यौन संबंध है। वे अक्सर एक यौन संबंध है। मेरे पति यह है बाथा का कोई सिर है। रफी खूबसूरत आदमी के साथ समय बिताने के लिए ठीक है। रफी सेक्स आनन्द की पत्नी के साथ गरीब चक्कर प्राप्त किया।